नासिक: देश में पहली बार रॉकेट होगी कृत्रिम बारिश
By: Editorial Team

महाराष्ट्र। बारिश की राह देख रहे नासिक के निवासियों का इंतजार जल्द ही खत्म होगा। बीते शनिवार को रॉकेट सफलतापूर्वक आकाश में छोड़ दिया गया। अब केवल कुछ दिनों के इंतजार के बाद बारी-बारी से 2 और रॉकेट दागे जाएंगे और नासिक के आसमान में बारिश के बादल छा जाएंगे।
येओला तालुका के सूखाग्रस्त साइगांव में मुंबई स्थित इंटरनेशनल स्कूल ऑफ प्रफेशनल स्टडीज (आईएसपीएस) ने शनिवार को कृत्रिम बादल बनाने के लिए रॉकेट छोड़ा गया। अधिकारियों ने शुगर को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करते हुए बादलों की जांच के लिए एक रॉकेट छोड़ा।
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इससे पहले नासिक जिले के सायगांव में कृत्रिम बारिश कराने के लिए लगातार दो प्रयोग किए गए थे, जो नाकाम रहे थे। आईएसपीएस नाम की मुंबई की एक निजी एजेंसी हिंद फाउंडेशन नामक संस्था के साथ मिलकर सूखा संभावित येवला तहसील में यह प्रयोग कर रही है।
इन रॉकेटों में कृत्रिम बादल बनाने के लिए सिल्वर आयोडाइड का इस्तेमाल किया जाता है जो आसमान में जाकर बादल बनाते हैं। इन बादलों से भी प्राकृतिक बादलों की ही तरह बारिश होती है। कुछ ही मिनटों के अंतराल पर एक-के-बाद एक निश्चित संख्या में बादलों को निशाना बना कर रॉकेट छोड़ने होते हैं।
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एक बार जब रॉकेट छोड़ दिया जाता है तब अगले 50 मिनट के भीतर बारिश की संभावना बन जाती है। प्रदेश के कृषि मंत्री एकनाथ खड़से ने कहा कि उस एजेंसी ने रविवार और सोमवार को अपने प्रयोग किए लेकिन सफलता नहीं मिली। वे लोग कोशिश करते रहना चाहते हैं।
हमने स्वीकृति दे दी है क्योंकि सरकार इस पर कोई पैसा खर्च नहीं कर रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक कृत्रिम बारिश कराने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली हेलिकॉप्टर तकनीक के मुकाबले रॉकेट के द्वारा बारिश कराने की यह तकनीक सस्ती है। इसमें सफलता की संभावना 80 फीसदी है, वहीं हेलिकॉप्टर तकनीक में सफलता का प्रतिशत 40 फीसदी ही है।